शिव-पार्वती का विवाह: हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि उस दिन को मानी जाती है जब भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। भक्त इस एकता को पूर्णता और नर-नारी शक्तियों के बीच दैहिक संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक के रूप में मानते हैं।
शिव के नृत्य (ताण्डव) की रात्रि: माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव ने सृष्टि, स्थिति, और संहार के लिए ब्रह्मांडीय नृत्य “ताण्डव” किया। भक्त इस रात्रि को आत्म-विचार, प्रार्थना, और दिव्य से जुड़ने का समय मानते हैं।
समुद्र मंथन (समुद्र मंथन): एक और कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि उस समय को नकारात्मक कार्यों को बचाने के लिए भगवान शिव ने विश्व रक्षा के लिए हलाहल विष को पी लिया था। इस घटना को महाशिवरात्रि पर याद किया जाता है।
भगवान शिव का पश्चाताप: इसे भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि वह रात्रि है जब भगवान शिव ने तपस्या और ध्यान किया था। भक्त इस दिन उपासना करते हैं, पूजा करते हैं, और आध्यात्मिक प्रगति, क्षमा, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं।
महाशिवरात्रि पर, भक्त अक्सर शिव मंदिरों की यात्रा करते हैं, विशेष पूजा (पूजा) करते हैं, पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं, और रातभर जागरूक रहते हैं। कई लोग इस दिन उपवास करते हैं औ